Sunday, July 12, 2015

India - Reality of a Poor State

From the wall of Sandhya Navodita, again proving India is run by Mafias, is a failed state and 90% Indians are Idiots ...



मेरा देश बहुत पुअर कंट्री है. यहाँ आपकी खैरियत किस्मत के हवाले है. जिनका भाग्य तेज है वे मर्डर करके भी पूरी उम्र शान से जीते हैं, और अगर आपकी किस्मत खराब है तो भले ज़िन्दगी में किसी को कभी रसोई वाला चाकू भी न चलाना आता हो पर उसे क़त्ल के जुर्म में सारी जिंदगी जेल में सड़ाया जा सकता है.
इस देश में पुलिस, आर्मी और दबंग जब शिकार पर निकलें तो बेहतर है रास्ता छोड़ दें वरना मौज मस्ती के मूड में निकले सत्ता में उन्मत्त शेर के सामने जो पड़ेगा मारा तो जाएगा ही.
जीने के जो तरीके आप जानते हों वे भी बताएं.
मैं तो इसलिए भी उदास हूँ कि मुम्बई की एक खबर देखी. किसी गोपी ने एक लड़की के साथ रेप किया था. पुलिस संदिग्ध मान कर गोपाल को उठा ले गयी. गोपाल के पिता की इस सदमे में तुरंत मौत हो गयी.
केस चला. फर्जी सुबूत, पुलिस की फेब्रिकेटेड अपराध कथा ने गोपाल को पीट पीट कर गोपी बना दिया. उसे सात साल की सजा हो गई. समाज के तानों से परेशान बीवी को गोपाल ने सलाह दी- इज्ज़त से जीना है तो दूसरी शादी कर लो. बीवी की दूसरी शादी हो गयी. दूसरे पति ने उसकी दोनों बेटियों को नहीं स्वीकार किया, नतीजा बेटियाँ अनाथालय पहुँच गयीं.
माँ ने रेपिस्ट जानकर गोपाल से सम्बन्ध तोड़ लिए.
अब जब सात साल की जेल में रहकर गोपाल हाईकोर्ट से छूटा तो वह सड़क पर है. सब कुछ उजड़ गया.
ऐसी बहुत सी 'कहानियाँ' मेरे पास हैं. आपके पास भी होंगी. कल एक दलित को को चारा काटने वाली मशीन में दबंगों ने काट डाला .
परसों एक औरत को थाने में जिंदा जला दिया गया.
इसके पहले एक 38 का नौजवान पत्रकार अचानक मारा गया.
इसके पहले आसाराम बापू के गवाह एक एक कर मारे जाने लगे.
इसके पहले एक पत्रकार पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गयी.
इसके पहले दो लड़कियों को रेप के बाद मार कर पेड़ पर उनकी लाशें झुला दी गयीं.
इसके पहले एक लड़की को चलती बस में रेप कर अधमरा कर सड़क पर फेंक दिया.
इसके पहले किसी मंगल सिंह ने खुद को आग लगा ली.
इसके पहले कई हज़ार नहीं लाख किसानों ने खुद को फांसी लगा ली.
इसके पहले कई लोगों को बेस्ट बेकरी में ब्रेड की भून दिया गया.
इसके पहले एक सोसायटी में किसी जाफरी को जिंदा जला दिया गया.
इसके पहले एक साबरमती ही फूँक दी गयी. नहीं , माफ़ कीजिए, साबरमती में बहुत से ज़िंदा इंसान जीवित फूँक दिए गए.
इसके पहले ........ इसके पहले भी बहुत सारे वाकये आपको याद होंगे. मुझे तो सब याद भी नहीं. और लिस्ट गिना भी दूँ तो क्या फर्क पड़ना है. बस किस्मत की ही बात है. अगर आप पुलिस, फ़ौज या दबंग नहीं हैं, तो यह देश आपके साथ कैसा भी सुलूक कर सकता है.
कोई भी गोपाल गोपी बनाया जा सकता है.
मेरा देश इसीलिए पुनर्जन्म में यकीन रखता है.
अगर आज आप सुरक्षित हैं तो अपनी योग्यता पर बहुत इतराइये मत. अपनी किस्मत टेस्ट कर लीजिये.
यह मेरा बेचारा गरीब देश !! जहां किस्मत है तो हत्यारा भी निर्दोष हो सकता है. और किस्मत ही ख़राब है तो निर्दोष भी किसी और के जुर्म की सज़ा भुगत सकता है.
बस यही क़ानून है, यही संविधान और यही लोकतन्त्र !!
हालाँकि मैं दिल से चाहती हूँ कि इन सब का काश वही मतलब हो जो किताबों में अब तक पढ़ाया जाता है. इन सब के बावजूद मैं चाहती हूँ. भले मेरे चाहने से कोई फर्क न पड़ता हो, पर मैं चाहती हूँ कि फर्क पड़े.

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